Cash Deposit Limit in Bank: भारत में बैंकिंग प्रणाली में कैश जमा करने की सीमा को लेकर आम जनता में अक्सर भ्रम होता है। खासकर जब बात खेतीबाड़ी, व्यवसाय, शादी या संपत्ति के कारण बड़ी रकम जमा करने की हो, तब यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। यह लेख सरल भाषा में समझाएगा कि बैंक में कैश डिपॉजिट की सीमा क्या है, नियम कैसे लागू होते हैं, और किस प्रकार से आप इन नियमों का पालन करके भविष्य में किसी कानूनी मुश्किल से बच सकते हैं।

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बैंक में कैश जमा करने की सीमा और नई अपडेट
भारतीय आयकर विभाग ने बैंक में कैश जमा करने पर कई नए नियम बनाए हैं, जिनका पालन सभी खाताधारकों के लिए आवश्यक है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भी यह नियम पूरी तरह से लागू हैं। बैंक अब बड़ी राशि के नकद जमा को आयकर विभाग को रिपोर्ट करते हैं और विभाग उन खातों की निगरानी करता है जिनमें नियमित रूप से बड़ी रकम जमा होती है।
इन नियमों का उद्देश्य tax evasion यानी टैक्स चोरी को रोकना और काले धन पर लगाम लगाना है। नोटबंदी के बाद से इन नियमों को और कड़ा कर दिया गया है। आयकर अधिकारियों के पास एडवांस डेटा एनालिटिक्स टूल्स होते हैं जो संदिग्ध ट्रांजैक्शन को तुरंत पकड़ लेते हैं। इसलिए जब भी आप बड़े कैश डिपॉजिट करें तो उसके दस्तावेज सही रखें।
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सेविंग अकाउंट में कैश जमा की सीमा
बचत खाते में ₹10 लाख से अधिक नकद जमा करने पर यह जानकारी सीधे आयकर विभाग को भेजी जाती है। अगर आप इस सीमा से ज्यादा कैश जमा करते हैं तो आपको राशि के स्रोत का सही-सही स्पष्टीकरण देना होता है।
यह नियम उन सभी खातों पर लागू होता है, चाहे वे सामान्य बैंक हों या सहकारी बैंक। यदि आपकी आय वैध है और आपके पास उस आय के जुड़े दस्तावेज मौजूद हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं। लेकिन यदि आप स्रोत साबित नहीं कर पाते, तो यह राशि आपकी अघोषित आय मान ली जाएगी और उस पर भारी जुर्माना भी लग सकता है।
करेंट अकाउंट में कैश जमा करने के नियम
वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए बनाए गए करेंट अकाउंट में कैश जमा करने की सीमा ₹50 लाख है। आयकर विभाग को सालाना इस सीमा से ऊपर के हर कैश जमा की रिपोर्ट करनी होती है।
व्यापारियों को अपने कैश लेनदेन का रिकॉर्ड रखना बेहद जरूरी है। हर बिल, चालान और इनवॉइस संभाल कर रखें ताकि विभाग के सामने अपने लेनदेन का स्रोत प्रमाणित कर सकें। नियमित टैक्स रिटर्न दाखिल करना भी व्यापारियों के लिए जरूरी है।
पैन कार्ड की अनिवार्यता
अगर आप एक दिन में या एक बार में ₹2 लाख से अधिक कैश जमा करते हैं, तो बैंक आपसे पैन कार्ड विवरण पूछेगा। बिना पैन कार्ड विवरण के बैंक इतने बड़े कैश डिपॉजिट स्वीकार नहीं करता।
यह नियम वित्तीय पारदर्शिता और काले धन की रोकथाम के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एक वित्तीय वर्ष में ₹10 लाख से ज्यादा कैश जमा होने पर बैंक पैन नंबर के साथ आयकर विभाग को सूचना भेजता है।
आयकर विभाग के नोटिस और जुर्माने
अगर आप तय सीमा से अधिक कैश जमा करते हैं और उसका स्रोत साबित नहीं कर पाते, तो आयकर विभाग जांच शुरू कर सकता है। वे आपसे नोटिस के ज़रिए जमा राशि के स्रोत की मांग कर सकते हैं।
यदि आप जवाब नहीं देते या संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो जमा राशि को आपकी अघोषित आय माना जा सकता है। इसके साथ-साथ उस पर भारी जुर्माना भी लग सकता है जो जमा राशि का दोगुना तक हो सकता है। इसलिए अपने कैश ट्रांजैक्शन के सारे रिकॉर्ड और दस्तावेज सुरक्षित रखें।
कैश जमा करते समय ध्यान देने वाली बातें
जब आप बैंक में बड़ी राशि नकद जमा करें तो हमेशा लेनदेन का दस्तावेजीकरण करें। चाहे वो बिक्री की आय हो, उपहार के रूप में प्राप्त राशि हो या किसी संपत्ति की बिक्री से मिली रकम, सभी को सही तरीके से लिखित रूप में रखें।
जहां तक संभव हो, बड़ी रकम डिजिटल माध्यम जैसे ऑनलाइन ट्रांसफर, चेक आदि से जमा करें। अगर कैश जमा करना जरूरी हो तो राशि को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर समय-समय पर जमा करें। लेकिन ध्यान रखें कि नियमों को चकमा देने के लिए राशि को जानबूझकर तोड़ना गलत है।
निष्कर्ष:
बैंकिंग नियमों का पालन कर आप भविष्य में आयकर विभाग की किसी भी परेशानी से बच सकते हैं। आयकर विभाग के नए नियम बड़े कैश ट्रांजैक्शन पर कड़ी निगरानी रखते हैं, इसलिए अपने कैश डिपॉजिट का रिकॉर्ड संपूर्ण और स्पष्ट रखें।
अस्वीकरण:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। बैंकिंग और इनकम टैक्स से जुड़ी नियमावली में बदलाव संभव हैं। वित्तीय निर्णय से पहले अपने बैंक या वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। लेखक या प्रकाशक किसी भी समस्या के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।
Published On: October 19, 2025 12:36 AM by Chandrahas