
DAP Urea New Rate 2025: अगर आप खेती से जुड़े हैं या किसान हैं, तो DAP और यूरिया खाद के 2025 के दाम और उपयोग की जानकारी आपके लिए बहुत काम की है। ये दोनों खादें फसलों को मजबूत और हरा-भरा बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। लेकिन कीमतें बढ़ जाने की वजह से कई बार किसानों को परेशानी होती है। चिंता मत करें, सरकार इसकी किफायत के लिए सब्सिडी देती है, जिससे ये खाद सस्ते दामों पर आसानी से मिलती है।
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DAP और यूरिया क्या हैं?
DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट): एक फॉस्फोरस-युक्त खाद है। इसमें 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है। ये खाद पौधों की जड़ों को मजबूत कर खेत की उपज बढ़ाता है। गेहूं, चावल, दाल जैसी फसलों में इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है।
यूरिया: नाइट्रोजन-जड़ित खाद है, जो पौधों को हरा-भरा और स्वस्थ रखती है। यह सफेद क्रिस्टल जैसी दिखती है और खेती में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती है। भारत में अधिकांश यूरिया पर सरकार सब्सिडी देती है, जिससे इसकी कीमत नियंत्रित रहती है।
2025 में DAP और यूरिया की कीमतें
सरकार ने खरीफ 2025 के लिए इन खादों के Maximum Retail Price (MRP) को कंट्रोल में रखा है ताकि किसानों को सस्ती दरों पर खाद मिल सके। प्रमुख कीमतें इस प्रकार हैं:
| खाद का नाम | पैकेज साइज | अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) |
| DAP | 50 किलो की बोरी | ₹1350 प्रति बोरी |
| यूरिया (नीम कोटेड) | 45 किलो की बोरी | ₹242 प्रति बोरी |
| यूरिया | 50 किलो की बोरी | ₹268 प्रति बोरी (टैक्स के बिना) |
अंतरराष्ट्रीय बाजार में DAP और यूरिया की कीमतें बहुत अधिक हैं, लेकिन भारत सरकार की Nutrient Based Subsidy (NBS) योजना के कारण किसानों को ये खाद सस्ते दामों में मिलते हैं।
सरकार की सब्सिडी क्यों महत्वपूर्ण है?
खाद बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला ज्यादातर कच्चा माल विदेशी बाजार से आता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से खाद महंगी होती है। भारत सरकार ने खरीफ सत्र 2024-25 में करीब 68,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर किसानों को इस बढ़ती कीमत से बचाया है। DAP पर ₹27,799 प्रति टन तक की सब्सिडी किसानों के लिए राहत का कारण है।
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खाद का सही इस्तेमाल कैसे करें?
DAP: इसका इस्तेमाल बुवाई के समय करें। प्रति एकड़ 20-25 किलो पर्याप्त होती है। अधिक मात्रा से पौधों की जड़ों को नुकसान हो सकता है।
यूरिया: फसल के विकास के दौरान 2-3 बार इस्तेमाल करें। इसे पानी के साथ डालें ताकि हवा में न उड़ सके और पौधों को सही पोषण मिले।
खाद खरीदते समय सरकारी दर और गुणवत्ता जांचें। नकली खाद से बचाव करें और जरूरत पड़ने पर कृषि अधिकारी से सलाह लें।
2025 में खाद की उपलब्धता और उत्पादन
भारत में 2024-25 में यूरिया का घरेलू उत्पादन 307 लाख टन तक पहुंच गया है, जबकि 56 लाख टन आयात भी हुआ। खाद की मांग बढ़ने के बावजूद सरकार ने आपूर्ति सुदृढ़ करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे किसानों को खाद की कमी नहीं होगी।
किसानों के लिए फायदे
सरकार की सब्सिडी और नियंत्रित कीमतों की वजह से 2025 में खाद का खर्च कम हुआ है। सही उपयोग से फसल की पैदावार बढ़ती है, जिससे खेती लाभकारी होती है। खाद की गुणवत्ता और मात्रा संतुलित रखने से मिट्टी की उर्वरता भी बेहतर रहती है।
सुझाव एवं सावधानियां
- खाद खरीदते समय बैग पर लिखा MRP जरूर जांचें।
- खाद का उचित उपयोग करें ताकि फसल सही विकास कर सके।
- नकली खाद से बचाव करें और यदि किसी दुकान पर ज्यादा दाम लगाएं जा रहे हों तो इसकी सूचना अधिकारियों को दें।
- नई सब्सिडी योजनाओं और दरों की जानकारी स्थानीय कृषि विभाग या किसान केंद्र से लेते रहें।
निष्कर्ष
2025 में DAP और यूरिया खाद की कीमतें सरकार की सब्सिडी के चलते किसानों के लिए सुगम हैं। खेती के लिए इन खादों का सही उपयोग जरूरी है। इससे मिट्टी और फसल दोनों का बेहतर विकास होता है। किसानों को चाहिए कि वे सरकारी दरों पर ही खाद खरीदें और समय-समय पर नई जानकारी लेते रहें।
Published On: October 3, 2025 10:23 PM by Chandrahas