Mid‑Day Meal में देरी: कई स्कूल उधार पर—बच्चों की पोषण पर क्या असर और सरकार की अगली चाल?

Mid-Day Meal Scheme में Fund Release में देरी क्यों होती है? रेशन, Cooking Cost और बच्चों की पोषण पर इसका असर

Mid‑Day Meal में देरी

हर दिन लाखों बच्चे Mid-Day Meal Scheme के तहत स्कूलों में स्वस्थ और पौष्टिक भोजन पाते हैं। ये योजना बच्चों के पोषण और स्कूल में उपस्थिति बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। लेकिन अक्सर ये खबरें आती हैं कि fund release में देरी की वजह से इस योजना के खाद्य सामग्री यानी ration और cooking cost में असर पड़ता है। आज हम इसी विषय पर जानेंगे कि आखिर ऐसा क्यों होता है और इसका बच्चों की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है। साथ ही जानेंगे कि राज्य सरकारों की क्या प्रतिक्रिया है और कब तक इसका समाधान हो सकता है।

Fund Release में देरी के पीछे मुख्य कारण

Mid-Day Meal Scheme के लिए केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारें मिलकर काम करती हैं। लेकिन कई बार fund transfer प्रोसेस में लंबित शिकायतें, बजट आवंटन में देरी, और प्रशासनिक जटिलताएं आती हैं। इसके अलावा, कई राज्यों में accountability और audits की वजह से धनराशि जारी करने में समय लग जाता है।

कुछ राज्यों में राजनीतिक स्थिरता की कमी और वित्तीय संसाधनों की गलत प्राथमिकता भी इस देरी के पीछे एक बड़ी वजह हैं। इसी कारण, समय पर फंड नहीं पहुंच पाता और इसका असर सीधे तौर पर बच्चों की पोषण की गुणवत्ता और भोजन पर पड़ता है।

Ration और Cooking Cost पर कैसे पड़ता है असर?

जब फंड समय पर उपलब्ध नहीं होता, तो स्कूलों में रेशन सामग्री की आपूर्ति बाधित हो जाती है। कई बार ration की क्वालिटी भी प्रभावित होती है जिससे बच्चे जो भोजन पाते हैं उसकी पौष्टिकता कमजोर हो जाती है। Cooking cost कम होने से खाना बनाने वाले केंद्रों की क्षमता भी प्रभावित होती है।

इस वजह से खाना पर्याप्त मात्रा में और सही गुणवत्ता में नहीं बन पाता। बच्चों को मिलने वाला खाना या तो कम गुणवत्ता वाला होता है या फिर पूरा नहीं मिलता, जिससे उनकी पौष्टिकता प्रभावित होती है।

बच्चों की पोषण पर इसका क्या असर होता है?

बच्चों के लिए सही और पोषणयुक्त भोजन न मिलना उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालता है। खासकर वे बच्चे जो घर में पर्याप्त भोजन नहीं पा पाते, उनके लिए Mid-Day Meal बेहद जरूरी है। अगर फंड रिलीज़ में देरी होती है, तो उन्हें सही समय पर पौष्टिक खाना नहीं मिलता जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वे अस्वस्थ होने लगते हैं।

राज्य सरकारों का क्या स्टेंस है?

अधिकांश राज्यों की सरकारें इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही हैं। वे अनुदान आवेदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और फंड रिलीज को जल्द करने के लिए नए कदम उठा रही हैं। कई राज्य सरकारें ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम भी लागू कर रही हैं ताकि फंड ट्रैक किया जा सके और क्षेत्रीय स्तर पर हर समस्या का तुरंत निराकरण हो।

कब तक आएगा इसका समाधान?

जैसा कि नीति निर्माता और प्रशासनिक अधिकारी फंड रिलीज प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं, उम्मीद है कि आने वाले 1-2 सालों में इस समस्या का समाधान हो जाएगा। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि accountability और audits को और सख्ती से लागू किया जाए ताकि धन का सही उपयोग हो और समय पर फंड बच्चों तक पहुंचे।

Accountability और Audits की अहमियत

फंड के सही और पारदर्शी उपयोग के लिए accountability जरूरी है। नियमित audits से न केवल भ्रष्टाचार कम होता है बल्कि योजना की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। कई स्थानों पर संचालन की पारदर्शिता न होने की वजह से फंड की निकासी में देरी होती है, जो सीधे बच्चों की पोषण पर असर डालती है।

कैसे हो सकता है बेहतर समाधान?

  • फंड रिलीज प्रक्रिया को डिजिटल और ऑटोमेटेड तरीके से करना ताकि मैन्युअल गलतियां कम हों।
  • हर स्तर पर समय-समय पर audits और ट्रैकिंग सिस्टम लागू करना।
  • शिक्षा विभाग और वित्त विभाग के बीच बेहतर समन्वय।
  • सरकारों द्वारा ration और cooking cost के लिए बजट में वृद्धि।
  • नागरिक भागीदारी के माध्यम से योजना को पारदर्शी बनाना।

इस प्रकार, Mid-Day Meal Scheme की सफलता सीधे बच्चों की सेहत और भविष्य से जुड़ी है। फंड रिलीज में हो रही देरी को समय से खत्म करना बेहद जरूरी है ताकि हर बच्चा स्वस्थ और मजबूत बन सके।

Published On: November 18, 2025 8:58 PM by Chandrahas

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